शिवजी के केशो से बहे गंग धारा,
बहे गंग धारा देखो गंगा माँ की धारा,
शिवजी के केशों से बहे गंग धारा।।
तर्ज – राधे राधे जपो चले आएँगे।
भागीरथ ने विनती करके पुकारा,
पुरखो को भोले दे दो भव का किनारा,
शिवजी के केशों से बहे गंग धारा।।
विष्णु जी के स्वर्ग से बहे गंग धारा,
ब्रम्ह कमंडल का लिया था सहारा,
शिवजी के केशों से बहे गंग धारा।।
स्वर्ग से धरती आई गंगा की धारा,
शिवजी ने माँ गंगा को जटाओं में धारा,
शिवजी के केशों से बहे गंग धारा।।
भागीरथ के पीछे पीछे चली गंग धारा,
ऋषिकेश हरिद्वार आई गंगा धारा,
शिवजी के केशों से बहे गंग धारा।।
हर की पौड़ी बनाई हरी जी का द्वारा,
कलकल करती लहरें माँ की चांदी जैसी धारा,
शिवजी के केशों से बहे गंग धारा।।
गंगा सागर में जा के मिलती है धारा,
डुबकी लगाके मिले भव से किनारा,
शिवजी के केशों से बहे गंग धारा।।
शिवजी के केशो से बहे गंग धारा,
बहे गंग धारा देखो गंगा माँ की धारा,
शिवजी के केशों से बहे गंग धारा।।
Singer – Chetna