गजानंद विघ्न हरो रे,
गणनायक विघ्न हरो रे।।
पार्वती के तुम हो लाला,
मैं जपता तेरी माला,
खोलो मेरे हिवड़े का ताला,
ज्ञान बताओ आइके जी,
म्हारा गुन सु पेट भरो रे,
गणनायक विघ्न हरो रे।।
मात गवरजा सिया रे सती को,
मैं जपता हूँ कैलाश पति को,
बलवंता हनुमान जति को,
लायो सजीवन जाए के,
रघुवर जी रा कारज सरो रे,
गणनायक विघ्न हरो रे।।
रवि गुण शिश शंकर धुनतारा,
अड़सठ तीरथ गंगा की धारा,
पुष्कर तीर्थ कर लो प्यारा,
भवसागर पार करो रे,
गणनायक विघ्न हरो रे।।
मात पिता गुरु देव गोसाई,
जन्म दियो गुरु ज्ञान बताइ,
धन शिवलाल शरण में तेरी,
मेरी नैया पार करो रे,
गणनायक विघ्न हरो रे।।
गजानंद विघ्न हरो रे,
गणनायक विघ्न हरो रे।।
गायक / प्रेषक – शंकर भारती।
लीलसर बाडमेर मो. 7297883327