फलक से सांवरे को,
आज जो भी देखता होगा,
किया श्रृंगार फूलों से,
है किसने सोचता होगा,
फलक से साँवरे को।।
मुकट माथे पे स्वर्णिम ये,
बड़ा मन भाये सांवरिया,
तेरी मोहक छवि पूजे,
है लाखो नर और नारियां,
ये मन पागल हो जाये तो,
ना कोई रोकता होगा।
फलक से साँवरे को,
आज जो भी देखता होगा,
किया श्रृंगार फूलों से,
है किसने सोचता होगा,
फलक से साँवरे को।।
तेरे इन तीन बाणों की,
महिमा दुनियाँ जाने है,
तेरी शक्ति को क्या इंसान,
देवता स्वर्ग के माने है,
ना तुझसा देव था पहले,
ना कोई दूसरा होगा,
फलक से साँवरे को,
आज जो भी देखता होगा,
किया श्रृंगार फूलों से,
है किसने सोचता होगा,
फलक से साँवरे को।।
फलक से सांवरे को,
आज जो भी देखता होगा,
किया श्रृंगार फूलों से,
है किसने सोचता होगा,
फलक से साँवरे को।।
Singer – Deepak Ram